Sugarcane News:गन्ना पेराई सत्र 2024 25 शुरू हो हैं.और बिजनौर जिले के गन्ना किसानों ने चीनी मिलों से अपने बकाए का भुगतान कराने की मांग को लेकर अपना विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है। उनका कहना है कि उन्हें कई महीनों से अपने गन्ने का भुगतान नहीं मिला है। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही भुगतान नहीं हुआ तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे। इसके साथ ही किसानों ने गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाकर ₹450 प्रति क्विंटल करने की भी मांग की है। उनका कहना है कि मौजूदा मूल्य उनके खर्चे पूरे करने के लिए नाकाफी है।
बकाया भुगतान नहीं मिलना किसानों की सबसे बड़ी समस्या
जैसा की आप सभी जानते हैं. गन्ने का बकाया भुगतान का मुद्दा कोई नई बात नहीं है। पिछले कई वर्षों से चीनी मिलें समय पर किसानों का भुगतान करने में विफल रही हैं। इससे किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। गन्ना किसान अपनी फसल के लिए मेहनत करते हैं, लेकिन समय पर भुगतान न मिलने से उनका जीवन कठिन हो जाता है। इस देरी के चलते कई किसान कर्ज में डूब जाते हैं और उन्हें अपने दैनिक खर्चों के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
मिलों द्वारा किसानों को पिछले वर्षो का गन्ना भुगतान नहीं मिलना किसानो का बहुत बड़ी समस्या बना हुआ हैं.जिस को बताते हुए बिजनौर के एक किसान, रामेश्वर सिंह, ने अपनी स्थिति के बारे में बताते हुए कहा, “हमने साल भर मेहनत की और अपना गन्ना चीनी मिल को दिया। लेकिन जब हमें हमारे हक का पैसा चाहिए, तो मिल वाले बहाने बनाते हैं। ऐसे में घर चलाना मुश्किल हो गया है।” किसानों का कहना है कि वे बैंक और साहूकारों से लिया कर्ज चुकाने में असमर्थ हो रहे हैं। बकाया भुगतान न मिलने की वजह से उनके परिवार के दैनिक खर्चों, बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य देखभाल में भी परेशानी हो रही है।
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चीनी मिलों का गन्ना भुगतान को किया कहना
किसान भाइयों गन्ना भुगतान को लेकर चीनी मिलों का कहना है कि उन्हें भी आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उनके अनुसार, बाजार में चीनी की कीमतें स्थिर नहीं हैं और उत्पादन लागत बढ़ रही है। हालांकि, किसानों का तर्क है कि मिलों को उनके भुगतान में प्राथमिकता देनी चाहिए। कई किसान नेताओं का कहना है कि मिलें सरकार की ओर से मिली छूट और अनुदान का दुरुपयोग कर रही हैं।
खबरों की माने तो सरकारी तंत्र पर भी किसानों की नाराजगी है। उनका मानना है कि प्रशासन को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए। किसान नेता मनोज चौधरी ने कहा, “सरकार सिर्फ वादे करती है लेकिन जमीन पर कुछ नहीं होता। अगर वे हमारा दर्द समझते तो हमारी समस्याओं का हल निकालते।”
गन्ने का समर्थन मूल्य 450 रुपए करने की मांग
इस वर्ष का किसानों ने गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग भी की है।गन्ना किसानों कहना है कि मौजूदा समर्थन मूल्य उनके खर्चों को कवर नहीं करता है। खेती में लागत लगातार बढ़ रही है। खाद, बीज, सिंचाई और श्रमिकों की मजदूरी महंगी हो गई है। ऐसे में पुराने मूल्य पर गन्ना बेचने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।
किसान आंदोलन में शामिल किसान सुनील यादव ने कहा, “हम चाहते हैं कि सरकार गन्ने का समर्थन मूल्य ₹450 प्रति क्विंटल करे। इससे हमें हमारी मेहनत का सही मूल्य मिलेगा।” किसानों का कहना है कि अन्य फसलों की तुलना में गन्ना की खेती में मेहनत अधिक है और जोखिम भी ज्यादा है। इसलिए उन्हें उचित मूल्य मिलना चाहिए। किसान भाइयो आप की किया राय है हमें बता सकते हैं
गन्ना किसानों ने दी आंदोलन की चेतावनी
मांगे पूरी न होने पर किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। उनका कहना है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे, लेकिन अगर प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो वे सड़कों पर उतरेंगे। कुछ किसान संगठनों ने राज्यव्यापी आंदोलन की योजना भी बनाई है।
जिला बिजनौर के किसान महापंचायत के अध्यक्ष सुरेश सिंह ने कहा, “हमने प्रशासन को चेतावनी दी है। अगर हमारा बकाया भुगतान नहीं हुआ और गन्ने का मूल्य नहीं बढ़ाया गया तो हम आंदोलन करेंगे। हमें अपना हक चाहिए।”
नतीजों का असर किसानों साथ चीनी मिलो पर भी पड़ेगा
किसानों का कहना है कि इस समस्या का असर सिर्फ किसानों पर ही नहीं, बल्कि चीनी उद्योग और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। गन्ना उत्पादन उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो इससे गन्ना उत्पादन में गिरावट आ सकती है। इससे चीनी उत्पादन प्रभावित होगा और देश की चीनी आपूर्ति पर भी असर पड़ेगा।
अगर देखा जाएं तो किसानों की मांग जायज है और उन्हें समय पर भुगतान और उचित मूल्य मिलना चाहिए। अब समय आ गया है कि सरकार और चीनी मिलें मिलकर इस समस्या का समाधान करें। किसान हमारे समाज की रीढ़ हैं और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए ताकि किसान आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से मजबूत बन सकें।
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