cane up.in:किसानों के लिए गन्ना एक नकदी फसल है जिसकी खेती प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश में की जाती है। और अब धान की फसल काटने के बाद किसान शरदकालीन गन्ने की बुवाई में लग गए हैं।
शरदकालीन गन्ने की खेती किसानों को कई तरह से फायदा पहुंचाती है। इस समय किसान शरदकालीन गन्ने की बुवाई कर सकते हैं। वैसे तो शरदकालीन गन्ने की बुवाई का सही समय सितंबर के आखिरी सप्ताह से अक्टूबर तक माना जाता है, लेकिन कई किसान नवंबर तक भी इसकी बुवाई कर देते हैं। हालांकि, देर से बुवाई करने पर पैदावार की मात्रा कम हो सकती है। लेकिन गन्ने की कई किस्में ऐसी हैं जिनकी बुवाई करके आप बेहतर पैदावार पा सकते हैं। इन किस्मों से किसान प्रति हेक्टेयर 95 टन तक पैदावार पा सकते हैं।
आज हम आपको शरदकालीन गन्ने की बुवाई के लिए उपयुक्त गन्ने की शीर्ष 5 किस्मों की जानकारी दे रहे हैं, जिनकी खेती करके आप बेहतर पैदावार पा सकते हैं।
Note:- गन्ने की नई इन पांच खास वेरायटी की खेती करें,मिलेगा बंपर उत्पादन,
जानिए गन्ने किस्म CO.लख. 16202 के बारें में
गन्ना किसान अक्टूबर से नवंबर तक गन्ना किस्म को.लाख. 16202 की बुवाई कर सकते हैं। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान की ओर से गन्ना किस्म को.लाख. 16202 जारी की गई है। इस गन्ना किस्म कोयंबटूर और लखनऊ गन्ना प्रजनन केंद्र के सहयोग से विकसित किया गया है। यह गन्ना किस्म उकठा और लाल सड़न रोग के प्रति प्रतिरोधक है। इस गन्ना किस्म से प्रति हेक्टेयर 92.8 टन तक उपज प्राप्त की जा सकती है। इस गन्ना किस्म में शर्करा की मात्रा 13.57 प्रतिशत है। इस किस्म को विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश के मध्य और पश्चिमी क्षेत्रों के लिए तैयार किया गया है। ऐसे में इन राज्यों के किसान गन्ना किस्म को.लाख. 16202 की बुवाई कर सकते हैं। और अच्छी पैदाबार कर सकतें हैं.
जानिए,गन्ने की को.शा. 18231 किस्म
उत्तर प्रदेश के किसानो के लिए गन्ना शोध परिषद द्वारा गन्ने की किस्म को.एस. 18231 विकसित की गई है। इस गन्ना किस्म से प्रति हेक्टेयर 90.16 टन तक उपज प्राप्त की जा सकती है। इस किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक है। इस किस्म में शर्करा प्रतिशत और पोल प्रतिशत भी अधिक पाया गया है। प्रति हेक्टेयर सी.सी.एन. टन के संदर्भ में को.एस. 18231 (11.89) मानक को.0238 से 13.84 प्रतिशत अधिक पाया गया है। किसान की किस्म की खेती कर के अच्छा उत्पादन कर सकते हैं.
गन्ने किस्म कोलख 14201 ख़ासियत जानें
किसान भाइयों चलिए जानते है,गन्ना किस्म कोलाख 14201 की कुछ खास बातें। गन्ना किस्म कोलाख 14201 का गन्ना मोटा और हल्के पीले रंग का होता है। इस किस्म में चीनी की मात्रा 18.60% और पोल प्रतिशत 14.55% है। इस किस्म के गन्ने में बोरर कीटों का प्रकोप कम होता है। गन्ना किस्म कोलाख 14201 से लगभग 95 टन उपज प्राप्त की जा सकती है।
गन्ना अगेती को.शा. 13235 किस्म
किसान भाइयों अगेती गन्ना किस्म को. शा. 13235 का गन्ना सीधा, मोटा और हल्का हरा-सफ़ेद रंग का होता है। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 81 से 92 टन उपज प्राप्त की जा सकती है। यह गन्ना किस्म लाल सड़न रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है। इस किस्म की खास बात यह है कि इसमें कीटों और बीमारियों का खतरा बहुत कम है। इस लिए आप गन्ने की इस किस्म की बुवाई करके अच्छी पैदाबार कर सकते हैं.
चीनी मिलो के लिए फायदे मंद है गन्ने की को. 15023 किस्म
हम आपको बता दे कि इस किस्म के गन्ने में चीनी की मात्रा अधिक होती है। इसलिए यह गन्ना बहुत मीठा होता है। इसके अलावा इस किस्म के गन्ने में रस की मात्रा भी अधिक होती है। कोल्हू पर गुड़ बनाने के लिए सबसे अधिक 15023 किस्म के गन्ने का इस्तेमाल किया जाता है। किसानों के अनुसार अब तक की पेराई में 15023 किस्म ने रिकवरी के मामले में सभी गन्ना किस्मों को पीछे छोड़ दिया है। चीनी मिलों में इस किस्म की रिकवरी एक प्रतिशत अधिक है और कोल्हू पर प्रति कुंतल एक किलोग्राम अधिक गुड़ का उत्पादन होता है।
गन्ने की खेती करतें समय इन बातों पर विशेष ध्यान दें
वर्तमान समय में गन्ने की फसल में विभिन प्रकार के रोग देखने को मिल रहे है. जिस कारण किसान बेहद परेशान है. तो हम अपने किसान भाइयों को बता दे की गन्ने की फसल में आ रहे रोग का एक मुख्य कारण फसल की सही समय ध्यान नहीं देना तो चलिए है गन्ने की खेती में किन बातों का ध्यान रखें
गन्ना बोते समय खेत की मिट्टी में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। गन्ना बोते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि गन्ने की पंक्तियों के बीच की दूरी 60 सेमी होनी चाहिए ताकि पौधों को फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके। गन्ने की खेती में नाइट्रोजन, पोटेशियम, सल्फर और आयरन जैसे पोषक तत्वों का इस्तेमाल करना चाहिए। गन्ने की खेती में लाल सड़न रोग की रोकथाम के लिए लाल सड़न प्रभावित किस्मों की बुवाई नहीं करनी चाहिए। गन्ने की फसल की सुरक्षा, सिंचाई, निराई और समय पर बंधाई पर ध्यान देना चाहिए। मिट्टी की जांच के बाद दिए गए सुझाव के अनुसार गन्ने की खेती में फॉस्फेट या पोटाश देना चाहिए।
Sugarcane Farming:किसानों को शरदकालीन गन्ने कि खेती लिए मिलेंगे नई किस्मों के बीज,यहां करें संपर्क